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لَيْسَ بِاَمَانِيِّكُمْ وَلَآ اَمَانِيِّ اَهْلِ الْكِتٰبِ ۗ مَنْ يَّعْمَلْ سُوْۤءًا يُّجْزَ بِهٖۙ وَلَا يَجِدْ لَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا   ( النساء: ١٢٣ )

Not
لَّيْسَ
नहीं है
by your desire
بِأَمَانِيِّكُمْ
तुम्हारी आरज़ुओं पर
and not
وَلَآ
और ना
(by the) desire
أَمَانِىِّ
आरज़ुओं पर
(of the) People
أَهْلِ
अहले किताब की
(of) the Book
ٱلْكِتَٰبِۗ
अहले किताब की
Whoever
مَن
जो कोई
does
يَعْمَلْ
अमल करेगा
evil
سُوٓءًا
बुरा
will be recompensed
يُجْزَ
वो बदला दिया जाएगा
for it
بِهِۦ
उसका
and not
وَلَا
और ना
he will find
يَجِدْ
वो पाएगा
for him
لَهُۥ
अपने लिए
from
مِن
सिवाय
besides
دُونِ
सिवाय
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
any protector
وَلِيًّا
कोई दोस्त
and not
وَلَا
और ना
any helper
نَصِيرًا
मददगार

Laysa biamaniyyikum wala amaniyyi ahli alkitabi man ya'mal sooan yujza bihi wala yajid lahu min dooni Allahi waliyyan wala naseeran (an-Nisāʾ 4:123)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

बात न तुम्हारी कामनाओं की है और न किताबवालों की कामनाओं की। जो भी बुराई करेगा उसे उसका फल मिलेगा और वह अल्लाह से हटकर न तो कोई मित्र पाएगा और न ही सहायक

English Sahih:

It [i.e., Paradise] is not [obtained] by your wishful thinking nor by that of the People of the Scripture. Whoever does a wrong will be recompensed for it, and he will not find besides Allah a protector or a helper. ([4] An-Nisa : 123)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

न तुम लोगों की आरज़ू से (कुछ काम चल सकता है) न अहले किताब की तमन्ना से कुछ हासिल हो सकता है बल्कि (जैसा काम वैसा दाम) जो बुरा काम करेगा उसे उसका बदला दिया जाएगा और फिर ख़ुदा के सिवा किसी को न तो अपना सरपरस्त पाएगा और न मददगार