۞ لَا خَيْرَ فِيْ كَثِيْرٍ مِّنْ نَّجْوٰىهُمْ اِلَّا مَنْ اَمَرَ بِصَدَقَةٍ اَوْ مَعْرُوْفٍ اَوْ اِصْلَاحٍۢ بَيْنَ النَّاسِۗ وَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ ابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ فَسَوْفَ نُؤْتِيْهِ اَجْرًا عَظِيْمًا ( النساء: ١١٤ )
La khayra fee katheerin min najwahum illa man amara bisadaqatin aw ma'roofin aw islahin bayna alnnasi waman yaf'al thalika ibtighaa mardati Allahi fasawfa nuteehi ajran 'atheeman (an-Nisāʾ 4:114)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उनकी अधिकतर काना-फूसियों में कोई भलाई नहीं होती। हाँ, जो व्यक्ति सदक़ा देने या भलाई करने या लोगों के बीच सुधार के लिए कुछ कहे, तो उसकी बात और है। और जो कोई यह काम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए करेगा, उसे हम निश्चय ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेंगे
English Sahih:
No good is there in much of their private conversation, except for those who enjoin charity or that which is right or conciliation between people. And whoever does that seeking means to the approval of Allah – then We are going to give him a great reward. ([4] An-Nisa : 114)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) उनके राज़ की बातों में अक्सर में भलाई (का तो नाम तक) नहीं मगर (हॉ) जो शख्स किसी को सदक़ा देने या अच्छे काम करे या लोगों के दरमियान मेल मिलाप कराने का हुक्म दे (तो अलबत्ता एक बात है) और जो शख्स (महज़) ख़ुदा की ख़ुशनूदी की ख्वाहिश में ऐसे काम करेगा तो हम अनक़रीब ही उसे बड़ा अच्छा बदला अता फरमाएंगे