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وَمَنْ يَّكْسِبْ خَطِيْۤـَٔةً اَوْ اِثْمًا ثُمَّ يَرْمِ بِهٖ بَرِيْۤـًٔا فَقَدِ احْتَمَلَ بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ   ( النساء: ١١٢ )

And whoever
وَمَن
और जो कोई
earns
يَكْسِبْ
कमाए
a fault
خَطِيٓـَٔةً
कोई ख़ता
or
أَوْ
या
a sin
إِثْمًا
कोई गुनाह
then
ثُمَّ
फिर
throws
يَرْمِ
वो इल्ज़ाम लगाए
it
بِهِۦ
साथ उसके
(on) an innocent
بَرِيٓـًٔا
किसी बेगुनाह पर
then surely
فَقَدِ
पस तहक़ीक़
he (has) burdened (himself)
ٱحْتَمَلَ
उसने उठाया
(with) a slander
بُهْتَٰنًا
बोहतान
and a sin
وَإِثْمًا
और गुनाह
manifest
مُّبِينًا
खुल्लम-खुल्ला

Waman yaksib khateeatan aw ithman thumma yarmi bihi bareean faqadi ihtamala buhtanan waithman mubeenan (an-Nisāʾ 4:112)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जो व्यक्ति कोई ग़लती या गुनाह की कमाई करे, फिर उसे किसी निर्दोष पर थोप दे, तो उसने एक बड़े लांछन और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर ले लिया

English Sahih:

But whoever earns an offense or a sin and then blames it on an innocent [person] has taken upon himself a slander and manifest sin. ([4] An-Nisa : 112)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो शख्स कोई ख़ता या गुनाह करे फिर उसे किसी बेक़सूर के सर थोपे तो उसने एक बड़े (इफ़तेरा) और सरीही गुनाह को अपने ऊपर लाद लिया