وَلَا تَهِنُوْا فِى ابْتِغَاۤءِ الْقَوْمِ ۗ اِنْ تَكُوْنُوْا تَأْلَمُوْنَ فَاِنَّهُمْ يَأْلَمُوْنَ كَمَا تَأْلَمُوْنَ ۚوَتَرْجُوْنَ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا يَرْجُوْنَ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ࣖ ( النساء: ١٠٤ )
Wala tahinoo fee ibtighai alqawmi in takoonoo talamoona fainnahum yalamoona kama talamoona watarjoona mina Allahi ma la yarjoona wakana Allahu 'aleeman hakeeman (an-Nisāʾ 4:104)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उन लोगों का पीछा करने में सुस्ती न दिखाओ। यदि तुम्हें दुख पहुँचता है; तो उन्हें भी दुख पहुँचता है, जिस तरह तुमको दुख पहुँचता है। और तुम अल्लाह से उस चीज़ की आशा करते हो, जिस चीज़ की वे आशा नहीं करते। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है
English Sahih:
And do not weaken in pursuit of the enemy. If you should be suffering – so are they suffering as you are suffering, but you expect from Allah that which they expect not. And Allah is ever Knowing and Wise. ([4] An-Nisa : 104)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (मुसलमानों) दुशमनों के पीछा करने में सुस्ती न करो अगर लड़ाई में तुमको तकलीफ़ पहुंचती है तो जैसी तुमको तकलीफ़ पहुंचती है उनको भी वैसी ही अज़ीयत होती है और (तुमको) ये भी (उम्मीद है कि) तुम ख़ुदा से वह वह उम्मीदें रखते हो जो (उनको) नसीब नहीं और ख़ुदा तो सबसे वाक़िफ़ (और) हिकमत वाला है