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فَاِذَا قَضَيْتُمُ الصَّلٰوةَ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ قِيَامًا وَّقُعُوْدًا وَّعَلٰى جُنُوْبِكُمْ ۚ فَاِذَا اطْمَأْنَنْتُمْ فَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ ۚ اِنَّ الصَّلٰوةَ كَانَتْ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ كِتٰبًا مَّوْقُوْتًا   ( النساء: ١٠٣ )

Then when
فَإِذَا
फिर जब
you (have) finished
قَضَيْتُمُ
पूरा कर चुको तुम
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़ को
then remember
فَٱذْكُرُوا۟
तो याद करो
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
standing
قِيَٰمًا
खड़े
and sitting
وَقُعُودًا
और बैठे
and (lying) on
وَعَلَىٰ
और अपने पहलुओं पर
your sides
جُنُوبِكُمْۚ
और अपने पहलुओं पर
But when
فَإِذَا
फिर जब
you are secure
ٱطْمَأْنَنتُمْ
इत्मिनान में आ जाओ तुम
then establish
فَأَقِيمُوا۟
तो क़ायम करो
the (regular) prayer
ٱلصَّلَوٰةَۚ
नमाज़
Indeed
إِنَّ
बेशक
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
is
كَانَتْ
है
on
عَلَى
मोमिनों पर
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर
prescribed
كِتَٰبًا
फ़र्ज़
(at) fixed times
مَّوْقُوتًا
मुक़र्रर औक़ात में

Faitha qadaytumu alssalata faothkuroo Allaha qiyaman waqu'oodan wa'ala junoobikum faitha itmanantum faaqeemoo alssalata inna alssalata kanat 'ala almumineena kitaban mawqootan (an-Nisāʾ 4:103)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जब तुम नमाज़ अदा कर चुको तो खड़े, बैठे या लेटे अल्लाह को याद करते रहो। फिर जब तुम्हें इतमीनान हो जाए तो विधिवत रूप से नमाज़ पढ़ो। निस्संदेह ईमानवालों पर समय की पाबन्दी के साथ नमाज़ पढना अनिवार्य है

English Sahih:

And when you have completed the prayer, remember Allah standing, sitting, or [lying] on your sides. But when you become secure, re-establish [regular] prayer. Indeed, prayer has been decreed upon the believers a decree of specified times. ([4] An-Nisa : 103)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर जब तुम नमाज़ अदा कर चुको तो उठते बैठते लेटते (ग़रज़ हर हाल में) ख़ुदा को याद करो फिर जब तुम (दुश्मनों से) मुतमईन हो जाओ तो (अपने मअमूल) के मुताबिक़ नमाज़ पढ़ा करो क्योंकि नमाज़ तो ईमानदारों पर वक्त मुतय्यन करके फ़र्ज़ की गयी है