۞ وَمَنْ يُّهَاجِرْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ يَجِدْ فِى الْاَرْضِ مُرَاغَمًا كَثِيْرًا وَّسَعَةً ۗوَمَنْ يَّخْرُجْ مِنْۢ بَيْتِهٖ مُهَاجِرًا اِلَى اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ثُمَّ يُدْرِكْهُ الْمَوْتُ فَقَدْ وَقَعَ اَجْرُهٗ عَلَى اللّٰهِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ࣖ ( النساء: ١٠٠ )
Waman yuhajir fee sabeeli Allahi yajid fee alardi muraghaman katheeran wasa'atan waman yakhruj min baytihi muhajiran ila Allahi warasoolihi thumma yudrikhu almawtu faqad waqa'a ajruhu 'ala Allahi wakana Allahu ghafooran raheeman (an-Nisāʾ 4:100)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो कोई अल्लाह के मार्ग में घरबार छोड़कर निकलेगा, वह धरती में शरण लेने की बहुत जगह और समाई पाएगा, और जो कोई अपने घर में सब कुछ छोड़कर अल्लाह और उसके रसूल की ओर निकले और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसका प्रतिदान अल्लाह के ज़िम्मे हो गया। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है
English Sahih:
And whoever emigrates for the cause of Allah will find on the earth many [alternative] locations and abundance. And whoever leaves his home as an emigrant to Allah and His Messenger and then death overtakes him – his reward has already become incumbent upon Allah. And Allah is ever Forgiving and Merciful. ([4] An-Nisa : 100)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जो शख्स ख़ुदा की राह में हिजरत करेगा तो वह रूए ज़मीन में बा फ़राग़त (चैन से रहने सहने के) बहुत से कुशादा मक़ाम पाएगा और जो शख्स अपने घर से जिलावतन होके ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ़ निकल ख़ड़ा हुआ फिर उसे (मंज़िले मक़सूद) तक पहुंचने से पहले मौत आ जाए तो ख़ुदा पर उसका सवाब लाज़िम हो गया और ख़ुदा तो बड़ा बख्श ने वाला मेहरबान है ही