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اِنَّ الَّذِيْنَ يَأْكُلُوْنَ اَمْوَالَ الْيَتٰمٰى ظُلْمًا اِنَّمَا يَأْكُلُوْنَ فِيْ بُطُوْنِهِمْ نَارًا ۗ وَسَيَصْلَوْنَ سَعِيْرًا ࣖ   ( النساء: ١٠ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
consume
يَأْكُلُونَ
खाते हैं
wealth
أَمْوَٰلَ
माल
(of) the orphans
ٱلْيَتَٰمَىٰ
यतीमों के
wrongfully
ظُلْمًا
ज़ुल्म करते हुए
only
إِنَّمَا
बेशक
they consume
يَأْكُلُونَ
वो खाते हैं
in
فِى
अपने पेटों में
their bellies
بُطُونِهِمْ
अपने पेटों में
fire
نَارًاۖ
आग
and they will be burned
وَسَيَصْلَوْنَ
और अनक़रीब वो जलेंगे
(in) a Blazing Fire
سَعِيرًا
भड़कती हुई आग में

Inna allatheena yakuloona amwala alyatama thulman innama yakuloona fee butoonihim naran wasayaslawna sa'eeran (an-Nisāʾ 4:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो लोग अनाथों के माल अन्याय के साथ खाते है, वास्तव में वे अपने पेट आग से भरते है, और वे अवश्य भड़कती हुई आग में पड़ेगे

English Sahih:

Indeed, those who devour the property of orphans unjustly are only consuming into their bellies fire. And they will be burned in a Blaze [i.e., Hellfire]. ([4] An-Nisa : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो यतीमों के माल नाहक़ चट कर जाया करते हैं वह अपने पेट में बस अंगारे भरते हैं और अनक़रीब जहन्नुम वासिल होंगे