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اَمَّنْ هُوَ قَانِتٌ اٰنَاۤءَ الَّيْلِ سَاجِدًا وَّقَاۤىِٕمًا يَّحْذَرُ الْاٰخِرَةَ وَيَرْجُوْا رَحْمَةَ رَبِّهٖۗ قُلْ هَلْ يَسْتَوِى الَّذِيْنَ يَعْلَمُوْنَ وَالَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ۗ اِنَّمَا يَتَذَكَّرُ اُولُوا الْاَلْبَابِ ࣖ  ( الزمر: ٩ )

Is (one) who
أَمَّنْ
क्या भला वो जो
[he]
هُوَ
क्या भला वो जो
(is) devoutly obedient
قَٰنِتٌ
बन्दगी करने वाला है
(during) hours
ءَانَآءَ
घड़ियों में
(of) the night
ٱلَّيْلِ
रात की
prostrating
سَاجِدًا
सजदा करने वाला है
and standing
وَقَآئِمًا
और क़याम करने वाला है
fearing
يَحْذَرُ
डरता है
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةَ
आख़िरत से
and hoping
وَيَرْجُوا۟
और उम्मीद रखता है
(for the) Mercy
رَحْمَةَ
रहमत की
(of) his Lord?
رَبِّهِۦۗ
अपने रब की
Say
قُلْ
कह दीजिए
"Are
هَلْ
क्या
equal
يَسْتَوِى
बराबर हो सकते हैं
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
know
يَعْلَمُونَ
इल्म रखते हैं
and those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
(do) not
لَا
नहीं वो इल्म रखते
know?"
يَعْلَمُونَۗ
नहीं वो इल्म रखते
Only
إِنَّمَا
बेशक
will take heed
يَتَذَكَّرُ
नसीहत पकड़ते हैं
those of understanding
أُو۟لُوا۟
अक़्ल वाले
those of understanding
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वाले

Amman huwa qanitun anaa allayli sajidan waqaiman yahtharu alakhirata wayarjoo rahmata rabbihi qul hal yastawee allatheena ya'lamoona waallatheena la ya'lamoona innama yatathakkaru oloo alalbabi (az-Zumar 39:9)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(क्या उक्त व्यक्ति अच्छा है) या वह व्यक्ति जो रात की घड़ियों में सजदा करता और खड़ा रहता है, आख़िरत से डरता है और अपने रब की दयालुता की आशा रखता हुआ विनयशीलता के साथ बन्दगी में लगा रहता है? कहो, 'क्या वे लोग जो जानते है और वे लोग जो नहीं जानते दोनों समान होंगे? शिक्षा तो बुद्धि और समझवाले ही ग्रहण करते है।'

English Sahih:

Is one who is devoutly obedient during periods of the night, prostrating and standing [in prayer], fearing the Hereafter and hoping for the mercy of his Lord, [like one who does not]? Say, "Are those who know equal to those who do not know?" Only they will remember [who are] people of understanding. ([39] Az-Zumar : 9)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(आख़िर) तू यक़ीनी जहन्नुमियों में होगा क्या जो शख्स रात के अवक़ात में सजदा करके और खड़े-खड़े (खुदा की) इबादत करता हो और आख़ेरत से डरता हो अपने परवरदिगार की रहमत का उम्मीदवार हो (नाशुक्रे) काफिर के बराबर हो सकता है (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि भला कहीं जानने वाले और न जाननेवाले लोग बराबर हो सकते हैं (मगर) नसीहत इबरतें तो बस अक्लमन्द ही लोग मानते हैं