اِنْ تَكْفُرُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ غَنِيٌّ عَنْكُمْ ۗوَلَا يَرْضٰى لِعِبَادِهِ الْكُفْرَۚ وَاِنْ تَشْكُرُوْا يَرْضَهُ لَكُمْۗ وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰىۗ ثُمَّ اِلٰى رَبِّكُمْ مَّرْجِعُكُمْ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَۗ اِنَّهٗ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ( الزمر: ٧ )
In takfuroo fainna Allaha ghaniyyun 'ankum wala yarda li'ibadihi alkufra wain tashkuroo yardahu lakum wala taziru waziratun wizra okhra thumma ila rabbikum marji'ukum fayunabbiokum bima kuntum ta'maloona innahu 'aleemun bithati alssudoori (az-Zumar 39:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि तुम इनकार करोगे तो अल्लाह तुमसे निस्पृह है। यद्यपि वह अपने बन्दों के लिए इनकार को पसन्द नहीं करता, किन्तु यदि तुम कृतज्ञता दिखाओगे, तो उसे वह तुम्हारे लिए पसन्द करता है। कोई बोझ न उठाएगा। फिर तुम्हारी वापसी अपने रब ही की ओर है। और वह तुम्हे बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे। निश्चय ही वह सीनों तक की बातें जानता है
English Sahih:
If you disbelieve – indeed, Allah is Free from need of you. And He does not approve for His servants disbelief. And if you are grateful, He approves [i.e., likes] it for you; and no bearer of burdens will bear the burden of another. Then to your Lord is your return, and He will inform you about what you used to do. Indeed, He is Knowing of that within the breasts. ([39] Az-Zumar : 7)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अगर तुमने उसकी नाशुक्री की तो (याद रखो कि) खुदा तुमसे बिल्कुल बेपरवाह है और अपने बन्दों से कुफ्र और नाशुक्री को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे तो वह उसको तुम्हारे वास्ते पसन्द करता है और (क़यामत में) कोई किसी (के गुनाह) का बोझ (अपनी गर्दन पर) नहीं उठाएगा फिर तुमको अपने परवरदिगार की तरफ लौटना है तो (दुनिया में) जो कुछ (भला बुरा) करते थे वह तुम्हें बता देगा वह यक़ीनन दिलों के राज़ (तक) से खूब वाक़िफ है