وَمَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖۖ وَالْاَرْضُ جَمِيْعًا قَبْضَتُهٗ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ وَالسَّمٰوٰتُ مَطْوِيّٰتٌۢ بِيَمِيْنِهٖ ۗسُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ( الزمر: ٦٧ )
Wama qadaroo Allaha haqqa qadrihi waalardu jamee'an qabdatuhu yawma alqiyamati waalssamawatu matwiyyatun biyameenihi subhanahu wata'ala 'amma yushrikoona (az-Zumar 39:67)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी क़द्र उसकी जाननी चाहिए थी। हालाँकि क़ियामत के दिन सारी की सारी धरती उसकी मुट्ठी में होगी और आकाश उसके दाएँ हाथ में लिपटे हुए होंगे। महान और उच्च है वह उससे, जो वे साझी ठहराते है
English Sahih:
They have not appraised Allah with true appraisal, while the earth entirely will be [within] His grip on the Day of Resurrection, and the heavens will be folded in His right hand. Exalted is He and high above what they associate with Him. ([39] Az-Zumar : 67)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उन लोगों ने ख़ुदा की जैसी क़द्र दानी करनी चाहिए थी उसकी ( कुछ भी ) कद्र न की हालाँकि ( वह ऐसा क़ादिर है कि) क़यामत के दिन सारी ज़मीन (गोया) उसकी मुट्ठी में होगी और सारे आसमान (गोया) उसके दाहिने हाथ में लिपटे हुए हैं जिसे ये लोग उसका शरीक बनाते हैं वह उससे पाकीज़ा और बरतर है