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وَاتَّبِعُوْٓا اَحْسَنَ مَآ اُنْزِلَ اِلَيْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَكُمُ الْعَذَابُ بَغْتَةً وَّاَنْتُمْ لَا تَشْعُرُوْنَ ۙ   ( الزمر: ٥٥ )

And follow
وَٱتَّبِعُوٓا۟
और पैरवी करो
(the) best
أَحْسَنَ
बेहतरीन की
(of) what
مَآ
जो
is revealed
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
to you
إِلَيْكُم
तरफ़ तुम्हारे
from
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
your Lord
رَّبِّكُم
तुम्हारे रब की तरफ़ से
before
مِّن
इससे पहले
before
قَبْلِ
इससे पहले
[that]
أَن
कि
comes to you
يَأْتِيَكُمُ
आ जाए तुम्हारे पास
the punishment
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
suddenly
بَغْتَةً
अचानक
while you
وَأَنتُمْ
और तुम
(do) not
لَا
ना तुम शऊर रखते हो
perceive
تَشْعُرُونَ
ना तुम शऊर रखते हो

Waittabi'oo ahsana ma onzila ilaykum min rabbikum min qabli an yatiyakumu al'athabu baghtatan waantum la tash'uroona (az-Zumar 39:55)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और अनुसर्ण करो उस सर्वोत्तम चीज़ का जो तुम्हारे रब की ओर से अवतरित हुई है, इससे पहले कि तुम पर अचानक यातना आ जाए और तुम्हें पता भी न हो।'

English Sahih:

And follow the best of what was revealed to you from your Lord [i.e., the Quran] before the punishment comes upon you suddenly while you do not perceive, ([39] Az-Zumar : 55)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो जो अच्छी बातें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हई हैं उन पर चलो (मगर) उसके क़ब्ल कि तुम पर एक बारगी अज़ाब नाज़िल हो और तुमको उसकी ख़बर भी न हो