اَوَلَمْ يَعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيَقْدِرُ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ࣖ ( الزمر: ٥٢ )
Do not
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
they know
يَعْلَمُوٓا۟
उन्होंने जाना
that
أَنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
extends
يَبْسُطُ
वो कुशादा करता है
the provision
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़
for whom
لِمَن
जिसके लिए
He wills
يَشَآءُ
वो चाहता है
and restricts
وَيَقْدِرُۚ
और वो तंग कर देता है
Indeed
إِنَّ
बेशक
in
فِى
इसमें
that
ذَٰلِكَ
इसमें
surely (are) signs
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who believe
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
Awalam ya'lamoo anna Allaha yabsutu alrrizqa liman yashao wayaqdiru inna fee thalika laayatin liqawmin yuminoona (az-Zumar 39:52)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या उन्हें मालूम नहीं कि अल्लाह जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है? निस्संदेह इसमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानियाँ है जो ईमान लाएँ
English Sahih:
Do they not know that Allah extends provision for whom He wills and restricts [it]? Indeed in that are signs for a people who believe. ([39] Az-Zumar : 52)