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فَاَصَابَهُمْ سَيِّاٰتُ مَا كَسَبُوْا ۗوَالَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْ هٰٓؤُلَاۤءِ سَيُصِيْبُهُمْ سَيِّاٰتُ مَا كَسَبُوْا ۙوَمَا هُمْ بِمُعْجِزِيْنَ  ( الزمر: ٥١ )

Then struck them
فَأَصَابَهُمْ
तो पहुँचीं उन्हें
(the) evils
سَيِّـَٔاتُ
बुराइयाँ
(of) what
مَا
उन (आमाल)की जो
they earned
كَسَبُوا۟ۚ
उन्होंने कमाए
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
have wronged
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
of
مِنْ
उन लोगों में से
these
هَٰٓؤُلَآءِ
उन लोगों में से
will strike them
سَيُصِيبُهُمْ
अनक़रीब पहुँचेंगी उन्हें
(the) evils
سَيِّـَٔاتُ
बुराइयाँ
(of) what
مَا
उन (आमाल)की जो
they earned;
كَسَبُوا۟
उन्होंने कमाए
and not
وَمَا
और नहीं हैं
they
هُم
वो
will be able to escape
بِمُعْجِزِينَ
आजिज़ करने वाले

Faasabahum sayyiatu ma kasaboo waallatheena thalamoo min haolai sayuseebuhum sayyiatu ma kasaboo wama hum bimu'jizeena (az-Zumar 39:51)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जो कुछ उन्होंने कमाया, उसकी बुराइयाँ उनपर आ पड़ी और इनमें से भी जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उनपर भी जो कुछ उन्होंने कमाया उसकी बुराइयाँ जल्द ही आ पड़ेगी। और वे काबू से बाहर निकलनेवाले नहीं

English Sahih:

And the evil consequences of what they earned struck them. And those who have wronged of these [people] will be struck [i.e., afflicted] by the evil consequences of what they earned; and they will not cause failure. ([39] Az-Zumar : 51)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ग़रज़ उनके आमाल के बुरे नतीजे उन्हें भुगतने पड़े और उन (कुफ्फ़ारे मक्का) में से जिन लोगों ने नाफरमानियाँ की हैं उन्हें भी अपने अपने आमाल की सज़ाएँ भुगतनी पड़ेंगी और ये लोग (ख़ुदा को)े आजिज़ नहीं कर सकते