ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا رَّجُلًا فِيْهِ شُرَكَاۤءُ مُتَشَاكِسُوْنَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِّرَجُلٍ هَلْ يَسْتَوِيٰنِ مَثَلًا ۗ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ ۗبَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ( الزمر: ٢٩ )
Daraba Allahu mathalan rajulan feehi shurakao mutashakisoona warajulan salaman lirajulin hal yastawiyani mathalan alhamdu lillahi bal aktharuhum la ya'lamoona (az-Zumar 39:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह एक मिसाल पेश करता है कि एक व्यक्ति है, जिसके मालिक होने में कई क्यक्ति साक्षी है, आपस में खींचातानी करनेवाले, और एक क्यक्ति वह है जो पूरा का पूरा एक ही व्यक्ति का है। क्या दोनों का हाल एक जैसा होगा? सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, किन्तु उनमें से अधिकांश लोग नहीं जानते
English Sahih:
Allah presents an example: a man [i.e., slave] owned by quarreling partners and another belonging exclusively to one man – are they equal in comparison? Praise be to Allah! But most of them do not know. ([39] Az-Zumar : 29)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ताकि ये लोग (समझकर) खुदा से डरे ख़ुदा ने एक मिसाल बयान की है कि एक शख्स (ग़ुलाम) है जिसमें कई झगड़ालू साझी हैं और एक ज़ालिम है कि पूरा एक शख्स का है उन दोनों की हालत यकसाँ हो सकती हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें अक्सर इतना भी नहीं जानते