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كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ اِلَيْكَ مُبٰرَكٌ لِّيَدَّبَّرُوْٓا اٰيٰتِهٖ وَلِيَتَذَكَّرَ اُولُوا الْاَلْبَابِ  ( ص: ٢٩ )

(This is) a Book
كِتَٰبٌ
एक किताब है
We have revealed it
أَنزَلْنَٰهُ
नाज़िल किया हमने उसे
to you
إِلَيْكَ
आपकी तरफ़
blessed
مُبَٰرَكٌ
बाबरकत है
that they may ponder
لِّيَدَّبَّرُوٓا۟
ताकि वो ग़ौरो फ़िक्र करें
(over) its Verses
ءَايَٰتِهِۦ
उसकी आयात में
and may be reminded
وَلِيَتَذَكَّرَ
और ताकि नसीहत पकड़ें
those of understanding
أُو۟لُوا۟
अक़्ल वाले
those of understanding
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वाले

Kitabun anzalnahu ilayka mubarakun liyaddabbaroo ayatihi waliyatathakkara oloo alalbabi (Ṣād 38:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यह एक इसकी आयतों पर सोच-विचार करें और ताकि बुद्धि और समझवाले इससे शिक्षा ग्रहण करें।-

English Sahih:

[This is] a blessed Book which We have revealed to you, [O Muhammad], that they might reflect upon its verses and that those of understanding would be reminded. ([38] Sad : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) किताब (कुरान) जो हमने तुम्हारे पास नाज़िल की है (बड़ी) बरकत वाली है ताकि लोग इसकी आयतों में ग़ौर करें और ताकि अक्ल वाले नसीहत हासिल करें