اَوَلَمْ يَرَ الْاِنْسَانُ اَنَّا خَلَقْنٰهُ مِنْ نُّطْفَةٍ فَاِذَا هُوَ خَصِيْمٌ مُّبِيْنٌ ( يس: ٧٧ )
Does not
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
see
يَرَ
देखा
[the] man
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान ने
that We
أَنَّا
बेशक हम
[We] created him
خَلَقْنَٰهُ
पैदा किया हमने उसे
from
مِن
नुत्फ़े से
a sperm-drop
نُّطْفَةٍ
नुत्फ़े से
Then behold!
فَإِذَا
तो यकायक
He
هُوَ
वो
(is) an opponent
خَصِيمٌ
झगड़ालू है
clear
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
Awalam yara alinsanu anna khalaqnahu min nutfatin faitha huwa khaseemun mubeenun (Yāʾ Sīn 36:77)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या (इनकार करनेवाले) मनुष्य को नहीं देखा कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया? फिर क्या देखते है कि वह प्रत्क्षय विरोधी झगड़ालू बन गया
English Sahih:
Does man not consider that We created him from a [mere] sperm-drop – then at once he is a clear adversary? ([36] Ya-Sin : 77)