فَالْيَوْمَ لَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْـًٔا وَّلَا تُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ( يس: ٥٤ )
So this Day
فَٱلْيَوْمَ
तो आज के दिन
not
لَا
ना ज़ुल्म किया जाएगा
will be wronged
تُظْلَمُ
ना ज़ुल्म किया जाएगा
a soul
نَفْسٌ
किसी नफ़्स पर
(in) anything
شَيْـًٔا
कुछ भी
and not
وَلَا
और ना
you will be recompensed
تُجْزَوْنَ
तुम बदला दिए जाओगे
except
إِلَّا
मगर
(for) what
مَا
जो
you used (to)
كُنتُمْ
थे तुम
do
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
Faalyawma la tuthlamu nafsun shayan wala tujzawna illa ma kuntum ta'maloona (Yāʾ Sīn 36:54)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अब आज किसी जीव पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम्हें बदले में वही मिलेगा जो कुछ तुम करते रहे हो
English Sahih:
So today [i.e., the Day of Judgement] no soul will be wronged at all, and you will not be recompensed except for what you used to do. ([36] Ya-Sin : 54)