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لِيَأْكُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖۙ وَمَا عَمِلَتْهُ اَيْدِيْهِمْ ۗ اَفَلَا يَشْكُرُوْنَ   ( يس: ٣٥ )

That they may eat
لِيَأْكُلُوا۟
ताकि वो खाऐं
of
مِن
उसके फल से
its fruit
ثَمَرِهِۦ
उसके फल से
And not
وَمَا
हालाँकि नहीं
made it
عَمِلَتْهُ
बनाया उसे
their hands
أَيْدِيهِمْۖ
उनके हाथों ने
So will not
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
they be grateful?
يَشْكُرُونَ
वो शुक्र अदा करते

Liyakuloo min thamarihi wama 'amilathu aydeehim afala yashkuroona (Yāʾ Sīn 36:35)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ताकि वे उसके फल खाएँ - हालाँकि यह सब कुछ उनके हाथों का बनाया हुआ नहीं है। - तो क्या वे आभार नहीं प्रकट करते?

English Sahih:

That they may eat of His fruit. And their hands have not produced it, so will they not be grateful? ([36] Ya-Sin : 35)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ताकि लोग उनके फल खाएँ और कुछ उनके हाथों ने उसे नहीं बनाया (बल्कि खुदा ने) तो क्या ये लोग (इस पर भी) शुक्र नहीं करते