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اَفَمَنْ زُيِّنَ لَهٗ سُوْۤءُ عَمَلِهٖ فَرَاٰهُ حَسَنًاۗ فَاِنَّ اللّٰهَ يُضِلُّ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُۖ فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَيْهِمْ حَسَرٰتٍۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِمَا يَصْنَعُوْنَ   ( فاطر: ٨ )

Then is (he) who -
أَفَمَن
क्या भला वो जो
is made fair-seeming
زُيِّنَ
मुज़य्यन कर दिया गया
to him
لَهُۥ
उसके लिए
(the) evil
سُوٓءُ
बुरा
(of) his deed -
عَمَلِهِۦ
अमल उसका
so that he sees it
فَرَءَاهُ
फिर वो देखे उसे
(as) good?
حَسَنًاۖ
ख़ूबसूरत
For indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
lets go astray
يُضِلُّ
वो गुमराह करता है
whom
مَن
जिसे
He wills
يَشَآءُ
वो चाहता है
and guides
وَيَهْدِى
और वो हिदायत देता है
whom
مَن
जिसे
He wills
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
So (let) not
فَلَا
पस ना
go out
تَذْهَبْ
जाती रहे
your soul
نَفْسُكَ
आपकी जान
for them
عَلَيْهِمْ
उन पर
(in) regrets
حَسَرَٰتٍۚ
हसरतें करके
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
(is) All-Knower
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
of what
بِمَا
जो कुछ
they do
يَصْنَعُونَ
वो करते हैं

Afaman zuyyina lahu sooo 'amalihi faraahu hasanan fainna Allaha yudillu man yashao wayahdee man yashao fala tathhab nafsuka 'alayhim hasaratin inna Allaha 'aleemun bima yasna'oona (Fāṭir 35:8)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर क्या वह व्यक्ति जिसके लिए उसका बुरा कर्म सुहाना बना दिया गया हो और वह उसे अच्छा दिख रहा हो (तो क्या वह बुराई को छोड़ेगा)? निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग से वंचित रखता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। अतः उनपर अफ़सोस करते-करते तुम्हारी जान न जाती रहे। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे रच रहे है

English Sahih:

Then is one to whom the evil of his deed has been made attractive so he considers it good [like one rightly guided]? For indeed, Allah sends astray whom He wills and guides whom He wills. So do not let yourself perish over them in regret. Indeed, Allah is Knowing of what they do. ([35] Fatir : 8)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो भला वह शख्स जिसे उस का बुरा काम शैतानी (अग़वॉ से) अच्छा कर दिखाया गया है औ वह उसे अच्छा समझने लगा है (कभी मोमिन नेकोकार के बराबर हो सकता है हरगिज़ नहीं) तो यक़ीनी (बात) ये है कि ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है राहे रास्त पर आने (की तौफ़ीक़) देता है तो (ऐ रसूल कहीं) उन (बदबख्तों) पर अफसोस कर करके तुम्हारे दम न निकल जाए जो कुछ ये लोग करते हैं ख़ुदा उससे खूब वाक़िफ़ है