اِنَّ الشَّيْطٰنَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَاتَّخِذُوْهُ عَدُوًّاۗ اِنَّمَا يَدْعُوْا حِزْبَهٗ لِيَكُوْنُوْا مِنْ اَصْحٰبِ السَّعِيْرِۗ ( فاطر: ٦ )
Indeed
إِنَّ
बिलाशुबह
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنَ
शैतान
(is) to you
لَكُمْ
तुम्हारा
an enemy
عَدُوٌّ
दुश्मन है
so take him
فَٱتَّخِذُوهُ
तो बनाओ उसे
(as) an enemy
عَدُوًّاۚ
दुश्मन
Only
إِنَّمَا
बेशक
he invites
يَدْعُوا۟
वो बुलाता है
his party
حِزْبَهُۥ
अपने गिरोह को
that they may be
لِيَكُونُوا۟
ताकि वो हो जाऐं
among
مِنْ
साथियों में से
(the) companions
أَصْحَٰبِ
साथियों में से
(of) the Blaze
ٱلسَّعِيرِ
भड़कती आग के
Inna alshshaytana lakum 'aduwwun faittakhithoohu 'aduwwan innama yad'oo hizbahu liyakoonoo min ashabi alssa'eeri (Fāṭir 35:6)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः तुम उसे शत्रु ही समझो। वह तो अपने गिरोह को केवल इसी लिए बुला रहा है कि वे दहकती आगवालों में सम्मिलित हो जाएँ
English Sahih:
Indeed, Satan is an enemy to you; so take him as an enemy. He only invites his party to be among the companions of the Blaze. ([35] Fatir : 6)