ۨاسْتِكْبَارًا فِى الْاَرْضِ وَمَكْرَ السَّيِّئِۗ وَلَا يَحِيْقُ الْمَكْرُ السَّيِّئُ اِلَّا بِاَهْلِهٖ ۗفَهَلْ يَنْظُرُوْنَ اِلَّا سُنَّتَ الْاَوَّلِيْنَۚ فَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّتِ اللّٰهِ تَبْدِيْلًا ەۚ وَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّتِ اللّٰهِ تَحْوِيْلًا ( فاطر: ٤٣ )
Istikbaran fee alardi wamakra alssayyii wala yaheequ almakru alssayyio illa biahlihi fahal yanthuroona illa sunnata alawwaleena falan tajida lisunnati Allahi tabdeelan walan tajida lisunnati Allahi tahweelan (Fāṭir 35:43)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हालाँकि बुरी चाल अपने ही लोगों को घेर लेती है। तो अब क्या जो रीति अगलों के सिलसिले में रही है वे बस उसी रीति की प्रतिक्षा कर रहे है? तो तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे और न तुम अल्लाह की रीति को कभी टलते ही पाओगे
English Sahih:
[Due to] arrogance in the land and plotting of evil; but the evil plot does not encompass except its own people. Then do they await except the way [i.e., fate] of the former peoples? But you will never find in the way [i.e., established method] of Allah any change, and you will never find in the way of Allah any alteration. ([35] Fatir : 43)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(उसके आने से) उनकी नफरत को तरक्की ही होती गयी और बुदी तद्बीर (की बुराई) तो बुरी तद्बीर करने वाले ही पर पड़ती है तो (हो न हो) ये लोग बस अगले ही लोगों के बरताव के मुन्तज़िर हैं तो (बेहतर) तुम खुदा के दसतूर में कभी तब्दीली न पाओगे और खुदा की आदत में हरगिज़ कोई तग़य्युर न पाओगे