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يَوْمَ تُقَلَّبُ وُجُوْهُهُمْ فِى النَّارِ يَقُوْلُوْنَ يٰلَيْتَنَآ اَطَعْنَا اللّٰهَ وَاَطَعْنَا الرَّسُوْلَا۠   ( الأحزاب: ٦٦ )

(The) Day
يَوْمَ
जिस दिन
will be turned about
تُقَلَّبُ
उलट-पलट किए जाऐंगे
their faces
وُجُوهُهُمْ
चेहरे उनके
in
فِى
आग में
the Fire
ٱلنَّارِ
आग में
they will say
يَقُولُونَ
वो कहेंगे
"O we wish
يَٰلَيْتَنَآ
ऐ काश कि हम
we (had) obeyed
أَطَعْنَا
इताअत करते हम
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह की
and obeyed
وَأَطَعْنَا
और इताअत करते हम
the Messenger!"
ٱلرَّسُولَا۠
रसूल की

Yawma tuqallabu wujoohuhum fee alnnari yaqooloona ya laytana ata'na Allaha waata'na alrrasoola (al-ʾAḥzāb 33:66)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिस दिन उनके चहेरे आग में उलटे-पलटे जाएँगे, वे कहेंगे, 'क्या ही अच्छा होता कि हमने अल्लाह का आज्ञापालन किया होता और रसूल का आज्ञापालन किया होता!'

English Sahih:

The Day their faces will be turned about in the Fire, they will say, "How we wish we had obeyed Allah and obeyed the Messenger." ([33] Al-Ahzab : 66)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिस दिन उनके मुँह जहन्नुम की तरफ फेर दिए जाएँगें तो उस दिन अफ़सोसनाक लहजे में कहेंगे ऐ काश हमने खुदा की इताअत की होती और रसूल का कहना माना होता