وَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِيْنَ وَالْمُنٰفِقِيْنَ وَدَعْ اَذٰىهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ وَكِيْلًا ( الأحزاب: ٤٨ )
And (do) not
وَلَا
और ना
obey
تُطِعِ
आप इताअत कीजिए
the disbelievers
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों की
and the hypocrites
وَٱلْمُنَٰفِقِينَ
और मुनाफ़िक़ों की
and disregard
وَدَعْ
और नज़र अंदाज़ कर दीजिए
their harm
أَذَىٰهُمْ
उनकी अज़ियत रसानी को
and put your trust
وَتَوَكَّلْ
और तवक्कल कीजिए
in
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह पर
And sufficient is Allah
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
And sufficient is Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह
(as) a Trustee
وَكِيلًا
कारसाज़
Wala tuti'i alkafireena waalmunafiqeena wada' athahum watawakkal 'ala Allahi wakafa biAllahi wakeelan (al-ʾAḥzāb 33:48)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और इनकार करनेवालों और कपटाचारियों के कहने में न आना। उनकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ का ख़याल न करो। और अल्लाह पर भरोसा रखो। अल्लाह इसके लिए काफ़ी है कि अपने मामले में उसपर भरोसा किया जाए
English Sahih:
And do not obey the disbelievers and the hypocrites and disregard their annoyance, and rely upon Allah. And sufficient is Allah as Disposer of affairs. ([33] Al-Ahzab : 48)