Skip to main content

يٰنِسَاۤءَ النَّبِيِّ لَسْتُنَّ كَاَحَدٍ مِّنَ النِّسَاۤءِ اِنِ اتَّقَيْتُنَّ فَلَا تَخْضَعْنَ بِالْقَوْلِ فَيَطْمَعَ الَّذِيْ فِيْ قَلْبِهٖ مَرَضٌ وَّقُلْنَ قَوْلًا مَّعْرُوْفًاۚ   ( الأحزاب: ٣٢ )

O wives
يَٰنِسَآءَ
ऐ नबी की बीवियो
(of) the Prophet!
ٱلنَّبِىِّ
ऐ नबी की बीवियो
You are not
لَسْتُنَّ
नहीं हो तुम
like anyone
كَأَحَدٍ
किसी एक की तरह
among
مِّنَ
औरतों में से
the women
ٱلنِّسَآءِۚ
औरतों में से
If
إِنِ
अगर
you fear (Allah)
ٱتَّقَيْتُنَّ
तुम तक़वा इख़्तियार करो
then (do) not
فَلَا
तो ना
be soft
تَخْضَعْنَ
तुम लोच पैदा करना
in speech
بِٱلْقَوْلِ
बात में
lest should be moved with desire
فَيَطْمَعَ
वरना तमअ करेगा
he who
ٱلَّذِى
वो शख़्स
in
فِى
जिसके दिल में
his heart
قَلْبِهِۦ
जिसके दिल में
(is) a disease
مَرَضٌ
मर्ज़ है
but say
وَقُلْنَ
और कहो
a word
قَوْلًا
बात
appropriate
مَّعْرُوفًا
भली/मारूफ़

Ya nisaa alnnabiyyi lastunna kaahadin mina alnnisai ini ittaqaytunna fala takhda'na bialqawli fayatma'a allathee fee qalbihi maradun waqulna qawlan ma'roofan (al-ʾAḥzāb 33:32)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ नबी की स्त्रियों! तुम सामान्य स्त्रियों में से किसी की तरह नहीं हो, यदि तुम अल्लाह का डर रखो। अतः तुम्हारी बातों में लोच न हो कि वह व्यक्ति जिसके दिल में रोग है, वह लालच में पड़ जाए। तुम सामान्य रूप से बात करो

English Sahih:

O wives of the Prophet, you are not like anyone among women. If you fear Allah, then do not be soft in speech [to men], lest he in whose heart is disease should covet, but speak with appropriate speech. ([33] Al-Ahzab : 32)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ नबी की बीवियों तुम और मामूली औरतों की सी तो हो वही (बस) अगर तुम को परहेज़गारी मंजूर रहे तो (अजनबी आदमी से) बात करने में नरम नरम (लगी लिपटी) बात न करो ताकि जिसके दिल में (शहवते ज़िना का) मर्ज़ है वह (कुछ और) इरादा (न) करे