مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ رِجَالٌ صَدَقُوْا مَا عَاهَدُوا اللّٰهَ عَلَيْهِ ۚ فَمِنْهُمْ مَّنْ قَضٰى نَحْبَهٗۙ وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّنْتَظِرُ ۖوَمَا بَدَّلُوْا تَبْدِيْلًاۙ ( الأحزاب: ٢٣ )
Mina almumineena rijalun sadaqoo ma 'ahadoo Allaha 'alayhi faminhum man qada nahbahu waminhum man yantathiru wama baddaloo tabdeelan (al-ʾAḥzāb 33:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ईमानवालों के रूप में ऐसे पुरुष मौजूद है कि जो प्रतिज्ञा उन्होंने अल्लाह से की थी उसे उन्होंने सच्चा कर दिखाया। फिर उनमें से कुछ तो अपना प्रण पूरा कर चुके और उनमें से कुछ प्रतीक्षा में है। और उन्होंने अपनी बात तनिक भी नहीं बदली
English Sahih:
Among the believers are men true to what they promised Allah. Among them is he who has fulfilled his vow [to the death], and among them is he who awaits [his chance]. And they did not alter [the terms of their commitment] by any alteration – ([33] Al-Ahzab : 23)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ईमानदारों में से कुछ लोग ऐसे भी हैं कि खुदा से उन्होंने (जॉनिसारी का) जो एहद किया था उसे पूरा कर दिखाया ग़रज़ उनमें से बाज़ वह हैं जो (मर कर) अपना वक्त पूरा कर गए और उनमें से बाज़ (हुक्मे खुदा के) मुन्तज़िर बैठे हैं और उन लोगों ने (अपनी बात) ज़रा भी नहीं बदली