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وَاَمَّا الَّذِيْنَ فَسَقُوْا فَمَأْوٰىهُمُ النَّارُ كُلَّمَآ اَرَادُوْٓا اَنْ يَّخْرُجُوْا مِنْهَآ اُعِيْدُوْا فِيْهَا وَقِيْلَ لَهُمْ ذُوْقُوْا عَذَابَ النَّارِ الَّذِيْ كُنْتُمْ بِهٖ تُكَذِّبُوْنَ  ( السجدة: ٢٠ )

But as for
وَأَمَّا
और रहे वो
those who
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
are defiantly disobedient
فَسَقُوا۟
नाफ़रमानी की
then their refuge
فَمَأْوَىٰهُمُ
पस ठिकाना उनका
(is) the Fire
ٱلنَّارُۖ
आग है
Every time
كُلَّمَآ
जब कभी
they wish
أَرَادُوٓا۟
वो इरादा करेंगे
to
أَن
कि
come out
يَخْرُجُوا۟
वो निकल आऐं
from it
مِنْهَآ
उससे
they (will) be returned
أُعِيدُوا۟
वो लौटा दिए जाऐंगे
in it
فِيهَا
उसी में
and it (will) be said
وَقِيلَ
और कह दिया जाएगा
to them
لَهُمْ
उन्हें
"Taste
ذُوقُوا۟
चखो
(the) punishment
عَذَابَ
अज़ाब
(of) the Fire
ٱلنَّارِ
आग का
which
ٱلَّذِى
वो जो
you used (to)
كُنتُم
थे तुम
[in it]
بِهِۦ
जिसे
deny"
تُكَذِّبُونَ
तुम झुटलाते

Waamma allatheena fasaqoo famawahumu alnnaru kullama aradoo an yakhrujoo minha o'eedoo feeha waqeela lahum thooqoo 'athaba alnnari allathee kuntum bihi tukaththiboona (as-Sajdah 32:20)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रहे वे लोग जिन्होंने सीमा का उल्लंघन किया, उनका ठिकाना आग है। जब कभी भी वे चाहेंगे कि उससे निकल जाएँ तो उसी में लौटा दिए जाएँगे और उनसे कहा जाएगा, 'चखो उस आग की यातना का मज़ा, जिसे तुम झूठ समझते थे।'

English Sahih:

But as for those who defiantly disobeyed, their refuge is the Fire. Every time they wish to emerge from it, they will be returned to it while it is said to them, "Taste the punishment of the Fire which you used to deny." ([32] As-Sajdah : 20)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिन लोगों ने बदकारी की उनका ठिकाना तो (बस) जहन्नुम है वह जब उसमें से निकल जाने का इरादा करेंगे तो उसी में फिर ढकेल दिए जाएँगे और उन से कहा जाएगा कि दोज़ख़ के जिस अज़ाब को तुम झुठलाते थे अब उसके मज़े चखो