۞ وَمَنْ يُّسْلِمْ وَجْهَهٗٓ اِلَى اللّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ فَقَدِ اسْتَمْسَكَ بِالْعُرْوَةِ الْوُثْقٰىۗ وَاِلَى اللّٰهِ عَاقِبَةُ الْاُمُوْرِ ( لقمان: ٢٢ )
And whoever
وَمَن
और जो कोई
submits
يُسْلِمْ
सुपुर्द कर दे
his face
وَجْهَهُۥٓ
चेहरा अपना
to
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
Allah
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
while he
وَهُوَ
और वो
(is) a good- doer
مُحْسِنٌ
मोहसिन भी हो
then indeed
فَقَدِ
तो यक़ीनन
he has grasped
ٱسْتَمْسَكَ
उसने थाम लिया
the handhold
بِٱلْعُرْوَةِ
कड़ा
the most trustworthy
ٱلْوُثْقَىٰۗ
मज़बूत
And to
وَإِلَى
और तरफ़ अल्लाह ही के
Allah
ٱللَّهِ
और तरफ़ अल्लाह ही के
(is the) end
عَٰقِبَةُ
अंजाम है
(of) the matters
ٱلْأُمُورِ
सब कामों का
Waman yuslim wajhahu ila Allahi wahuwa muhsinun faqadi istamsaka bial'urwati alwuthqa waila Allahi 'aqibatu alomoori (Luq̈mān 31:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो कोई आज्ञाकारिता के साथ अपना रुख़ अल्लाह की ओर करे, और वह उत्तमकर भी हो तो उसने मज़बूत सहारा थाम लिया। सारे मामलों की परिणति अल्लाह ही की ओर है
English Sahih:
And whoever submits his face [i.e., self] to Allah while he is a doer of good – then he has grasped the most trustworthy handhold. And to Allah will be the outcome of [all] matters. ([31] Luqman : 22)