اَوَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۗ كَانُوْٓا اَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَّاَثَارُوا الْاَرْضَ وَعَمَرُوْهَآ اَكْثَرَ مِمَّا عَمَرُوْهَا وَجَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِۗ فَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيَظْلِمَهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْٓا اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَۗ ( الروم: ٩ )
Awalam yaseeroo fee alardi fayanthuroo kayfa kana 'aqibatu allatheena min qablihim kanoo ashadda minhum quwwatan waatharoo alarda wa'amarooha akthara mimma 'amarooha wajaathum rusuluhum bialbayyinati fama kana Allahu liyathlimahum walakin kanoo anfusahum yathlimoona (ar-Rūm 30:9)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो उनसे पहले थे? वे शक्ति में उनसे अधिक बलवान थे और उन्होंने धरती को उपजाया और उससे कहीं अधिक उसे आबाद किया जितना उन्होंने आबाद किया था। और उनके पास उनके रसूल प्रत्यक्ष प्रमाण लेकर आए। फिर अल्लाह ऐसा न था कि उनपर ज़ुल्म करता। किन्तु वे स्वयं ही अपने आप पर ज़ुल्म करते थे
English Sahih:
Have they not traveled through the earth and observed how was the end of those before them? They were greater than them in power, and they plowed [or excavated] the earth and built it up more than they [i.e., the Makkans] have built it up, and their messengers came to them with clear evidences. And Allah would not ever have wronged them, but they were wronging themselves. ([30] Ar-Rum : 9)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
क्या ये लोग रुए ज़मीन पर चले फिरे नहीं कि देखते कि जो लोग इनसे पहले गुज़र गए उनका अन्जाम कैसा (बुरा) हुआ हालॉकि जो लोग उनसे पहले क़ूवत में भी कहीं ज्यादा थे और जिस क़दर ज़मीन उन लोगों ने आबाद की है उससे कहीं ज्यादा (ज़मीन की) उन लोगों ने काश्त भी की थी और उसको आबाद भी किया था और उनके पास भी उनके पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ चुके थे (मगर उन लोगों ने न माना) तो ख़ुदा ने उन पर कोई ज़ुल्म नहीं किया मगर वह लोग (कुफ्र व सरकशी से) आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे