فَاٰتِ ذَا الْقُرْبٰى حَقَّهٗ وَالْمِسْكِيْنَ وَابْنَ السَّبِيْلِۗ ذٰلِكَ خَيْرٌ لِّلَّذِيْنَ يُرِيْدُوْنَ وَجْهَ اللّٰهِ ۖوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ( الروم: ٣٨ )
So give
فَـَٔاتِ
पस आप दीजिए
the relative
ذَا
क़राबतदार को
the relative
ٱلْقُرْبَىٰ
क़राबतदार को
his right
حَقَّهُۥ
हक़ उसका
and the poor
وَٱلْمِسْكِينَ
और मिसकीन
and the wayfarer
وَٱبْنَ
और मुसाफ़िर को
and the wayfarer
ٱلسَّبِيلِۚ
और मुसाफ़िर को
That
ذَٰلِكَ
ये
(is) best
خَيْرٌ
बेहतर है
for those who
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जो
desire
يُرِيدُونَ
चाहते हैं
(the) Countenance
وَجْهَ
चेहरा
(of) Allah
ٱللَّهِۖ
अल्लाह का
And those
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
they
هُمُ
वो
(are) the successful ones
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं
Faati tha alqurba haqqahu waalmiskeena waibna alssabeeli thalika khayrun lillatheena yureedoona wajha Allahi waolaika humu almuflihoona (ar-Rūm 30:38)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अतः नातेदार को उसका हक़ दो और मुहताज और मुसाफ़िर को भी। यह अच्छा है उनके लिए जो अल्लाह की प्रसन्नता के इच्छुक हों और वही सफल है
English Sahih:
So give the relative his right, as well as the needy and the traveler. That is best for those who desire the face [i.e., approval] of Allah, and it is they who will be the successful. ([30] Ar-Rum : 38)