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مِنَ الَّذِيْنَ فَرَّقُوْا دِيْنَهُمْ وَكَانُوْا شِيَعًا ۗ كُلُّ حِزْبٍۢ بِمَا لَدَيْهِمْ فَرِحُوْنَ  ( الروم: ٣٢ )

Of
مِنَ
उन लोगों में से जिन्होंने
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में से जिन्होंने
divide
فَرَّقُوا۟
फ़िरक़ा-फ़िरक़ा कर दिया
their religion
دِينَهُمْ
अपने दीन को
and become
وَكَانُوا۟
और हो गए वो
sects
شِيَعًاۖ
गिरोह-गिरोह
each
كُلُّ
हर
party
حِزْبٍۭ
गिरोह (के लोग)
in what
بِمَا
उस पर जो
they have
لَدَيْهِمْ
उनके पास है
rejoicing
فَرِحُونَ
ख़ुश हैं

Mina allatheena farraqoo deenahum wakanoo shiya'an kullu hizbin bima ladayhim farihoona (ar-Rūm 30:32)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन लोगों में से जिन्होंने अपनी दीन (धर्म) को टुकड़े-टुकड़े कर डाला और गिरोहों में बँट गए। हर गिरोह के पास जो कुछ है, उसी में मग्न है

English Sahih:

[Or] of those who have divided their religion and become sects, every faction rejoicing in what it has. ([30] Ar-Rum : 32)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिन्होंने अपने (असली) दीन में तफरेक़ा परवाज़ी की और मुख्तलिफ़ फिरके क़े बन गए जो (दीन) जिस फिरके क़े पास है उसी में निहाल है