اَفَغَيْرَ دِيْنِ اللّٰهِ يَبْغُوْنَ وَلَهٗ ٓ اَسْلَمَ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّاِلَيْهِ يُرْجَعُوْنَ ( آل عمران: ٨٣ )
So is (it) other than
أَفَغَيْرَ
क्या भला अलावा
(the) religion
دِينِ
अल्लाह के दीन के
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के दीन के
they seek?
يَبْغُونَ
वो (कुछ और) तलाश करते हैं
While to Him
وَلَهُۥٓ
हालाँकि उसी के लिए
(have) submitted
أَسْلَمَ
फ़रमाबरदार हुआ
whatever
مَن
जो कोई
(is) in
فِى
आसमानों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
willingly
طَوْعًا
ख़ुशी से
or unwillingly
وَكَرْهًا
और नाख़ुशी से
and towards Him
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
they will be returned
يُرْجَعُونَ
वो लौटाए जाऐंगे
Afaghayra deeni Allahi yabghoona walahu aslama man fee alssamawati waalardi taw'an wakarhan wailayhi yurja'oona (ʾĀl ʿImrān 3:83)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अब क्या इन लोगों को अल्लाह के दीन (धर्म) के सिवा किसी और दीन की तलब है, हालाँकि आकाशों और धरती में जो कोई भी है, स्वेच्छापूर्वक या विवश होकर उसी के आगे झुका हुआ है। और उसी की ओर सबको लौटना है?
English Sahih:
So is it other than the religion of Allah they desire, while to Him have submitted [all] those within the heavens and earth, willingly or by compulsion, and to Him they will be returned? ([3] Ali 'Imran : 83)