وَلَا يَأْمُرَكُمْ اَنْ تَتَّخِذُوا الْمَلٰۤىِٕكَةَ وَالنَّبِيّٖنَ اَرْبَابًا ۗ اَيَأْمُرُكُمْ بِالْكُفْرِ بَعْدَ اِذْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ࣖ ( آل عمران: ٨٠ )
And not
وَلَا
और नहीं
he will order you
يَأْمُرَكُمْ
वो हुक्म देता तुम्हें
that
أَن
कि
you take
تَتَّخِذُوا۟
तुम बना लो
the Angels
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्तों को
and the Prophets
وَٱلنَّبِيِّۦنَ
और नबियों को
(as) lords
أَرْبَابًاۗ
रब (मुख़्तलिफ़)
Would he order you
أَيَأْمُرُكُم
क्या वो हुक्म देगा तुम्हें
to [the] disbelief
بِٱلْكُفْرِ
कुफ़्र का
after
بَعْدَ
बाद उसके
[when]
إِذْ
जब
you (have become)
أَنتُم
तुम
Muslims?
مُّسْلِمُونَ
मुसलमान हो
Wala yamurakum an tattakhithoo almalaikata waalnnabiyyeena arbaban ayamurukum bialkufri ba'da ith antum muslimoona (ʾĀl ʿImrān 3:80)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और न वह तुम्हें इस बात का हुक्म देगा कि तुम फ़रिश्तों और नबियों को अपना रब बना लो। क्या वह तुम्हें अधर्म का हुक्म देगा, जबकि तुम (उसके) आज्ञाकारी हो?
English Sahih:
Nor could he order you to take the angels and prophets as lords. Would he order you to disbelief after you had been Muslims? ([3] Ali 'Imran : 80)