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اِنَّ الَّذِيْنَ يَشْتَرُوْنَ بِعَهْدِ اللّٰهِ وَاَيْمَانِهِمْ ثَمَنًا قَلِيْلًا اُولٰۤىِٕكَ لَا خَلَاقَ لَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ وَلَا يُكَلِّمُهُمُ اللّٰهُ وَلَا يَنْظُرُ اِلَيْهِمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ وَلَا يُزَكِّيْهِمْ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ   ( آل عمران: ٧٧ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
exchange
يَشْتَرُونَ
लेते हैं
(the) Covenant
بِعَهْدِ
बदले अल्लाह के अहद के
(of) Allah
ٱللَّهِ
बदले अल्लाह के अहद के
and their oaths
وَأَيْمَٰنِهِمْ
और अपनी क़समों के
(for) a price
ثَمَنًا
क़ीमत
little
قَلِيلًا
थोड़ी
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
no
لَا
नहीं कोई हिस्सा
share
خَلَٰقَ
नहीं कोई हिस्सा
for them
لَهُمْ
उनके लिए
in
فِى
आख़िरत में
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
and not
وَلَا
और ना
will speak to them
يُكَلِّمُهُمُ
कलाम करेगा उनसे
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
and not
وَلَا
और ना
look
يَنظُرُ
वो देखेगा
at them
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
(on the) Day
يَوْمَ
दिन
(of) the Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
and not
وَلَا
और ना
purify them
يُزَكِّيهِمْ
वो पाक करेगा उन्हें
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक

Inna allatheena yashtaroona bi'ahdi Allahi waaymanihim thamanan qaleelan olaika la khalaqa lahum fee alakhirati wala yukallimuhumu Allahu wala yanthuru ilayhim yawma alqiyamati wala yuzakkeehim walahum 'athabun aleemun (ʾĀl ʿImrān 3:77)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रहे वे लोग जो अल्लाह की प्रतिज्ञा और अपनी क़समों का थोड़े मूल्य पर सौदा करते हैं, उनका आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं। अल्लाह न तो उनसे बात करेगा और न क़ियामत के दिन उनकी ओर देखेगा, और न ही उन्हें निखारेगा। उनके लिए तो दुखद यातना है

English Sahih:

Indeed, those who exchange the covenant of Allah and their [own] oaths for a small price will have no share in the Hereafter, and Allah will not speak to them or look at them on the Day of Resurrection, nor will He purify them; and they will have a painful punishment. ([3] Ali 'Imran : 77)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक जो लोग अपने एहद और (क़समे) जो ख़ुदा (से किया था उसके) बदले थोड़ा (दुनयावी) मुआवेज़ा ले लेते हैं उन ही लोगों के वास्ते आख़िरत में कुछ हिस्सा नहीं और क़यामत के दिन ख़ुदा उनसे बात तक तो करेगा नहीं ओर उनकी तरफ़ नज़र (रहमत) ही करेगा और न उनको (गुनाहों की गन्दगी से) पाक करेगा और उनके लिये दर्दनाम अज़ाब है