وَلَا تُؤْمِنُوْٓا اِلَّا لِمَنْ تَبِعَ دِيْنَكُمْ ۗ قُلْ اِنَّ الْهُدٰى هُدَى اللّٰهِ ۙ اَنْ يُّؤْتٰىٓ اَحَدٌ مِّثْلَ مَآ اُوْتِيْتُمْ اَوْ يُحَاۤجُّوْكُمْ عِنْدَ رَبِّكُمْ ۗ قُلْ اِنَّ الْفَضْلَ بِيَدِ اللّٰهِ ۚ يُؤْتِيْهِ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ۚ ( آل عمران: ٧٣ )
Wala tuminoo illa liman tabi'a deenakum qul inna alhuda huda Allahi an yuta ahadun mithla ma ooteetum aw yuhajjookum 'inda rabbikum qul inna alfadla biyadi Allahi yuteehi man yashao waAllahu wasi'un 'aleemun (ʾĀl ʿImrān 3:73)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'और तुम अपने धर्म के अनुयायियों के अतिरिक्त किसी पर विश्वास न करो। कह दो, वास्तविक मार्गदर्शन तो अल्लाह का मार्गदर्शन है - कि कहीं जो चीज़ तुम्हें प्राप्त हो जाए, या वे तुम्हारे रब के सामने तुम्हारे ख़िलाफ़ हुज्जत कर सकें।' कह दो, 'बढ़-चढ़कर प्रदान करना तो अल्लाह के हाथ में है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। और अल्लाह बड़ी समाईवाला, सब कुछ जाननेवाला है
English Sahih:
And do not trust except those who follow your religion." Say, "Indeed, the [true] guidance is the guidance of Allah. [Do you fear] lest someone be given [knowledge] like you were given or that they would [thereby] argue with you before your Lord?" Say, "Indeed, [all] bounty is in the hand of Allah – He grants it to whom He wills. And Allah is all-Encompassing and Wise." ([3] Ali 'Imran : 73)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तुम्हारे दीन की पैरवरी करे उसके सिवा किसी दूसरे की बात का ऐतबार न करो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि बस ख़ुदा ही की हिदायत तो हिदायत है (यहूदी बाहम ये भी कहते हैं कि) उसको भी न (मानना) कि जैसा (उम्दा दीन) तुमको दिया गया है, वैसा किसी और को दिया जाय या तुमसे कोई शख्स ख़ुदा के यहॉ झगड़ा करे (ऐ रसूल तुम उनसे) कह दो कि (ये क्या ग़लत ख्याल है) फ़ज़ल (व करम) ख़ुदा के हाथ में है वह जिसको चाहे दे और ख़ुदा बड़ी गुन्जाईश वाला है (और हर शै को)े जानता है