وَقَالَتْ طَّاۤىِٕفَةٌ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ اٰمِنُوْا بِالَّذِيْٓ اُنْزِلَ عَلَى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَجْهَ النَّهَارِ وَاكْفُرُوْٓا اٰخِرَهٗ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَۚ ( آل عمران: ٧٢ )
And said
وَقَالَت
और कहा
a group
طَّآئِفَةٌ
एक गिरोह ने
of
مِّنْ
अहले किताब में से
(the) People
أَهْلِ
अहले किताब में से
(of) the Book
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
"Believe
ءَامِنُوا۟
ईमान ले आओ
in what
بِٱلَّذِىٓ
उस चीज़ पर जो
was revealed
أُنزِلَ
नाज़िल की गई
on
عَلَى
उन पर जो
those who
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
believe[d]
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
(at the) beginning
وَجْهَ
अव्वल (वक़्त)
(of) the day
ٱلنَّهَارِ
दिन के
and reject
وَٱكْفُرُوٓا۟
और इन्कार कर दो
at its end
ءَاخِرَهُۥ
उसके आख़िर में
perhaps they may
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
return
يَرْجِعُونَ
वो लौट आऐं
Waqalat taifatun min ahli alkitabi aminoo biallathee onzila 'ala allatheena amanoo wajha alnnahari waokfuroo akhirahu la'allahum yarji'oona (ʾĀl ʿImrān 3:72)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किताबवालों में से एक गिरोह कहता है, 'ईमानवालो पर जो कुछ उतरा है, उस पर प्रातःकाल ईमान लाओ और संध्या समय उसका इनकार कर दो, ताकि वे फिर जाएँ
English Sahih:
And a faction of the People of the Scripture say [to each other], "Believe in that which was revealed to the believers at the beginning of the day and reject it at its end that perhaps they will return [i.e., abandon their religion], ([3] Ali 'Imran : 72)