تُوْلِجُ الَّيْلَ فِى النَّهَارِ وَتُوْلِجُ النَّهَارَ فِى الَّيْلِ وَتُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَتُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ وَتَرْزُقُ مَنْ تَشَاۤءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ ( آل عمران: ٢٧ )
Tooliju allayla fee alnnahari watooliju alnnahara fee allayli watukhriju alhayya mina almayyiti watukhriju almayyita mina alhayyi watarzuqu man tashao bighayri hisabin (ʾĀl ʿImrān 3:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'तू रात को दिन में पिरोता है और दिन को रात में पिरोता है। तू निर्जीव से सजीव को निकालता है और सजीव से निर्जीव को निकालता है, बेहिसाब देता है।'
English Sahih:
You cause the night to enter the day, and You cause the day to enter the night; and You bring the living out of the dead, and You bring the dead out of the living. And You give provision to whom You will without account [i.e., limit or measure]." ([3] Ali 'Imran : 27)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तू ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो) रात बढ़ जाती है और तू ही दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल करता है (तो दिन बढ़ जाता है) तू ही बेजान (अन्डा नुत्फ़ा वगैरह) से जानदार को पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान नुत्फ़ा (वगैरहा) निकालता है और तू ही जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है