ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْا لَنْ تَمَسَّنَا النَّارُ اِلَّآ اَيَّامًا مَّعْدُوْدٰتٍ ۖ وَّغَرَّهُمْ فِيْ دِيْنِهِمْ مَّا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ( آل عمران: ٢٤ )
That
ذَٰلِكَ
ये
(is) because they
بِأَنَّهُمْ
बवजह इसके कि वो
say
قَالُوا۟
कहते हैं
"Never
لَن
हरगिज़ ना
will touch us
تَمَسَّنَا
छुएगी हमें
the Fire
ٱلنَّارُ
आग
except
إِلَّآ
मगर
(for) days
أَيَّامًا
दिन
numbered"
مَّعْدُودَٰتٍۖ
गिने चुने
And deceived them
وَغَرَّهُمْ
और धोखे में डाल देता है उन्हें
in
فِى
उनके दीन (के बारे) में
their religion
دِينِهِم
उनके दीन (के बारे) में
what
مَّا
जो
they were
كَانُوا۟
थे वो
inventing
يَفْتَرُونَ
वो गढ़ते
Thalika biannahum qaloo lan tamassana alnnaru illa ayyaman ma'doodatin wagharrahum fee deenihim ma kanoo yaftaroona (ʾĀl ʿImrān 3:24)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यह इसलिए कि वे कहते, 'आग हमें नहीं छू सकती। हाँ, कुछ गिने-चुने दिनों (के कष्टों) की बात और है।' उनकी मनघड़ंत बातों ने, जो वे घड़ते रहे हैं, उन्हें धोखे में डाल रखा है
English Sahih:
That is because they say, "Never will the Fire touch us except for [a few] numbered days," and [because] they were deluded in their religion by what they were inventing. ([3] Ali 'Imran : 24)