رَبَّنَا وَاٰتِنَا مَا وَعَدْتَّنَا عَلٰى رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ اِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيْعَادَ ( آل عمران: ١٩٤ )
Our Lord
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
grant us
وَءَاتِنَا
और दे हमें
what
مَا
जो
You promised us
وَعَدتَّنَا
वादा किया तूने हमसे
through
عَلَىٰ
अपने रसूलों के (ज़रिए)
Your Messengers
رُسُلِكَ
अपने रसूलों के (ज़रिए)
and (do) not
وَلَا
और ना
disgrace us
تُخْزِنَا
तू रुस्वा कर हमें
(on the) Day
يَوْمَ
दिन
(of) [the] Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِۗ
क़यामत के
Indeed You
إِنَّكَ
बेशक तू
(do) not
لَا
नहीं तू ख़िलाफ़ करेगा
break
تُخْلِفُ
नहीं तू ख़िलाफ़ करेगा
the promise"
ٱلْمِيعَادَ
वादे के
Rabbana waatina ma wa'adtana 'ala rusulika wala tukhzina yawma alqiyamati innaka la tukhlifu almee'ada (ʾĀl ʿImrān 3:194)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'हमारे रब! जिस चीज़ का वादा तूने अपने रसूलों के द्वारा किया वह हमें प्रदान कर और क़ियामत के दिन हमें रुसवा न करना। निस्संदेह तू अपने वादे के विरुद्ध जानेवाला नहीं है।'
English Sahih:
Our Lord, and grant us what You promised us through Your messengers and do not disgrace us on the Day of Resurrection. Indeed, You do not fail in [Your] promise." ([3] Ali 'Imran : 194)