اِنَّ فِيْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافِ الَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى الْاَلْبَابِۙ ( آل عمران: ١٩٠ )
Indeed
إِنَّ
बेशक
in
فِى
तख़्लीक़ में
(the) creation
خَلْقِ
तख़्लीक़ में
(of) the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
and (in the) alternation
وَٱخْتِلَٰفِ
और इख़्तिलाफ़ में
(of) the night
ٱلَّيْلِ
रात
and the day
وَٱلنَّهَارِ
और दिन के
(are) surely Signs
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
for men
لِّأُو۟لِى
अक़्ल वालों के लिए
(of) understanding
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वालों के लिए
Inna fee khalqi alssamawati waalardi waikhtilafi allayli waalnnahari laayatin liolee alalbabi (ʾĀl ʿImrān 3:190)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निस्सदेह आकाशों और धरती की रचना में और रात और दिन के आगे पीछे बारी-बारी आने में उन बुद्धिमानों के लिए निशानियाँ है
English Sahih:
Indeed, in the creation of the heavens and the earth and the alternation of the night and the day are signs for those of understanding – ([3] Ali 'Imran : 190)