وَاِذْ اَخَذَ اللّٰهُ مِيْثَاقَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ لَتُبَيِّنُنَّهٗ لِلنَّاسِ وَلَا تَكْتُمُوْنَهٗۖ فَنَبَذُوْهُ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِهِمْ وَاشْتَرَوْا بِهٖ ثَمَنًا قَلِيْلًا ۗ فَبِئْسَ مَا يَشْتَرُوْنَ ( آل عمران: ١٨٧ )
Waith akhatha Allahu meethaqa allatheena ootoo alkitaba latubayyinunnahu lilnnasi wala taktumoonahu fanabathoohu waraa thuhoorihim waishtaraw bihi thamanan qaleelan fabisa ma yashtaroona (ʾĀl ʿImrān 3:187)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
याद करो जब अल्लाह ने उन लोगों से, जिन्हें किताब प्रदान की गई थी, वचन लिया था कि 'उसे लोगों के सामने भली-भाँति स्पट् करोगे, उसे छिपाओगे नहीं।' किन्तु उन्होंने उसे पीठ पीछे डाल दिया और तुच्छ मूल्य पर उसका सौदा किया। कितना बुरा सौदा है जो ये कर रहे है
English Sahih:
And [mention, O Muhammad], when Allah took a covenant from those who were given the Scripture, [saying], "You must make it clear [i.e., explain it] to the people and not conceal it." But they threw it away behind their backs and exchanged it for a small price. And wretched is that which they purchased. ([3] Ali 'Imran : 187)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) इनको वह वक्त तो याद दिलाओ जब ख़ुदा ने अहले किताब से एहद व पैमान लिया था कि तुम किताबे ख़ुदा को साफ़ साफ़ बयान कर देना और (ख़बरदार) उसकी कोई बात छुपाना नहीं मगर इन लोगों ने (ज़रा भी ख्याल न किया) और उनको पसे पुश्त फेंक दिया और उसके बदले में (बस) थोड़ी सी क़ीमत हासिल कर ली पस ये क्या ही बुरा (सौदा) है जो ये लोग ख़रीद रहे हैं