۞ لَتُبْلَوُنَّ فِيْٓ اَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْۗ وَلَتَسْمَعُنَّ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَمِنَ الَّذِيْنَ اَشْرَكُوْٓا اَذًى كَثِيْرًا ۗ وَاِنْ تَصْبِرُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ ذٰلِكَ مِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ( آل عمران: ١٨٦ )
Latublawunna fee amwalikum waanfusikum walatasma'unna mina allatheena ootoo alkitaba min qablikum wamina allatheena ashrakoo athan katheeran wain tasbiroo watattaqoo fainna thalika min 'azmi alomoori (ʾĀl ʿImrān 3:186)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम्हारें माल और तुम्हारे प्राण में तुम्हारी परीक्षा होकर रहेगी और तुम्हें उन लोगों से जिन्हें तुमसे पहले किताब प्रदान की गई थी और उन लोगों से जिन्होंने 'शिर्क' किया, बहुत-सी कष्टप्रद बातें सुननी पड़ेगी। परन्तु यदि तुम जमें रहे और (अल्लाह का) डर रखा, तो यह उन कर्मों में से है जो आवश्यक ठहरा दिया गया है
English Sahih:
You will surely be tested in your possessions and in yourselves. And you will surely hear from those who were given the Scripture before you and from those who associate others with Allah much abuse. But if you are patient and fear Allah – indeed, that is of the matters [worthy] of resolve. ([3] Ali 'Imran : 186)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(मुसलमानों) तुम्हारे मालों और जानों का तुमसे ज़रूर इम्तेहान लिया जाएगा और जिन लोगो को तुम से पहले किताबे ख़ुदा दी जा चुकी है (यहूद व नसारा) उनसे और मुशरेकीन से बहुत ही दुख दर्द की बातें तुम्हें ज़रूर सुननी पड़ेंगी और अगर तुम (उन मुसीबतों को) झेल जाओगे और परहेज़गारी करते रहोगे तो बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है