كُلُّ نَفْسٍ ذَاۤىِٕقَةُ الْمَوْتِۗ وَاِنَّمَا تُوَفَّوْنَ اُجُوْرَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ فَمَنْ زُحْزِحَ عَنِ النَّارِ وَاُدْخِلَ الْجَنَّةَ فَقَدْ فَازَ ۗ وَمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَآ اِلَّا مَتَاعُ الْغُرُوْرِ ( آل عمران: ١٨٥ )
Kullu nafsin thaiqatu almawti wainnama tuwaffawna ojoorakum yawma alqiyamati faman zuhziha 'ani alnnari waodkhila aljannata faqad faza wama alhayatu alddunya illa mata'u alghuroori (ʾĀl ʿImrān 3:185)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
प्रत्येक जीव मृत्यु का मज़ा चखनेवाला है, और तुम्हें तो क़ियामत के दिन पूरा-पूरा बदला दे दिया जाएगा। अतः जिसे आग (जहन्नम) से हटाकर जन्नत में दाख़िल कर दिया गया, वह सफल रहा। रहा सांसारिक जीवन, तो वह माया-सामग्री के सिवा कुछ भी नहीं
English Sahih:
Every soul will taste death, and you will only be given your [full] compensation on the Day of Resurrection. So he who is drawn away from the Fire and admitted to Paradise has attained [his desire]. And what is the life of this world except the enjoyment of delusion. ([3] Ali 'Imran : 185)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
हर जान एक न एक (दिन) मौत का मज़ा चखेगी और तुम लोग क़यामत के दिन (अपने किए का) पूरा पूरा बदला भर पाओगे पस जो शख्स जहन्नुम से हटा दिया गया और बहिश्त में पहुंचा दिया गया पस वही कामयाब हुआ और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी धोखे की टट्टी के सिवा कुछ नहीं