مَا كَانَ اللّٰهُ لِيَذَرَ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلٰى مَآ اَنْتُمْ عَلَيْهِ حَتّٰى يَمِيْزَ الْخَبِيْثَ مِنَ الطَّيِّبِ ۗ وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيُطْلِعَكُمْ عَلَى الْغَيْبِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَجْتَبِيْ مِنْ رُّسُلِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۖ فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ ۚ وَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا فَلَكُمْ اَجْرٌ عَظِيْمٌ ( آل عمران: ١٧٩ )
Ma kana Allahu liyathara almumineena 'ala ma antum 'alayhi hatta yameeza alkhabeetha mina alttayyibi wama kana Allahu liyutli'akum 'ala alghaybi walakinna Allaha yajtabee min rusulihi man yashao faaminoo biAllahi warusulihi wain tuminoo watattaqoo falakum ajrun 'atheemun (ʾĀl ʿImrān 3:179)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह ईमानवालों को इस दशा में नहीं रहने देगा, जिसमें तुम हो। यह तो उस समय तक की बात है जबतक कि वह अपवित्र को पवित्र से पृथक नहीं कर देता। और अल्लाह ऐसा नहीं है कि वह तुम्हें परोक्ष की सूचना दे दे। किन्तु अल्लाह इस काम के लिए जिसको चाहता है चुन लेता है, और वे उसके रसूल होते है। अतः अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ। और यदि तुम ईमान लाओगे और (अल्लाह का) डर रखोगे तो तुमको बड़ा प्रतिदान मिलेगा
English Sahih:
Allah would not leave the believers in that [state] you are in [presently] until He separates the evil from the good. Nor would Allah reveal to you the unseen. But [instead], Allah chooses of His messengers whom He wills, so believe in Allah and His messengers. And if you believe and fear Him, then for you is a great reward. ([3] Ali 'Imran : 179)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(मुनाफ़िक़ो) ख़ुदा ऐसा नहीं कि बुरे भले की तमीज़ किए बगैर जिस हालत पर तुम हो उसी हालत पर मोमिनों को भी छोड़ दे और ख़ुदा ऐसा भी नहीं है कि तुम्हें गैब की बातें बता दे मगर (हॉ) ख़ुदा अपने रसूलों में जिसे चाहता है (गैब बताने के वास्ते) चुन लेता है पस ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और अगर तुम ईमान लाओगे और परहेज़गारी करोगे तो तुम्हारे वास्ते बड़ी जज़ाए ख़ैर है