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وَلَا يَحْزُنْكَ الَّذِيْنَ يُسَارِعُوْنَ فِى الْكُفْرِۚ اِنَّهُمْ لَنْ يَّضُرُّوا اللّٰهَ شَيْـًٔا ۗ يُرِيْدُ اللّٰهُ اَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِى الْاٰخِرَةِ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌۚ   ( آل عمران: ١٧٦ )

And (let) not
وَلَا
और ना
grieve you
يَحْزُنكَ
ग़मगीन करें आपको
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
hasten
يُسَٰرِعُونَ
जल्दी करते हैं
in(to)
فِى
कुफ़्र में
[the] disbelief
ٱلْكُفْرِۚ
कुफ़्र में
Indeed, they
إِنَّهُمْ
बेशक वो
never
لَن
हरगिज़ नहीं
will harm
يَضُرُّوا۟
वो नुक़सान दे सकते
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
(in) anything
شَيْـًٔاۗ
कुछ भी
intends
يُرِيدُ
चाहता है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
that not
أَلَّا
कि ना
He will set
يَجْعَلَ
वो रखे
for them
لَهُمْ
उनके लिए
any portion
حَظًّا
कोई हिस्सा
in
فِى
आख़िरत में
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِۖ
आख़िरत में
And for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
great
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा

Wala yahzunka allatheena yusari'oona fee alkufri innahum lan yadurroo Allaha shayan yureedu Allahu alla yaj'ala lahum haththan fee alakhirati walahum 'athabun 'atheemun (ʾĀl ʿImrān 3:176)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो लोग अधर्म और इनकार में जल्दी दिखाते है, उनके कारण तुम दुखी न हो। वे अल्लाह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। अल्लाह चाहता है कि उनके लिए आख़िरत में कोई हिस्सा न रखे, उनके लिए तो बड़ी यातना है

English Sahih:

And do not be grieved, [O Muhammad], by those who hasten into disbelief. Indeed, they will never harm Allah at all. Allah intends that He should give them no share in the Hereafter, and for them is a great punishment. ([3] Ali 'Imran : 176)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) जो लोग कुफ़्र की (मदद) में पेश क़दमी कर जाते हैं उनकी वजह से तुम रन्ज न करो क्योंकि ये लोग ख़ुदा को कुछ ज़रर नहीं पहुँचा सकते (बल्कि) ख़ुदा तो ये चाहता है कि आख़ेरत में उनका हिस्सा न क़रार दे और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है