فَانْقَلَبُوْا بِنِعْمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ وَفَضْلٍ لَّمْ يَمْسَسْهُمْ سُوْۤءٌۙ وَّاتَّبَعُوْا رِضْوَانَ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ ذُوْ فَضْلٍ عَظِيْمٍ ( آل عمران: ١٧٤ )
So they returned
فَٱنقَلَبُوا۟
पस वो पलट आए
with (the) Favor
بِنِعْمَةٍ
साथ नेअमत के
of
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
and Bounty
وَفَضْلٍ
और फ़ज़ल के
not
لَّمْ
नहीं
touched them
يَمْسَسْهُمْ
छुआ उन्हें
any harm
سُوٓءٌ
किसी बुराई (तकलीफ़) ने
And they followed
وَٱتَّبَعُوا۟
और उन्होंने पैरवी की
(the) pleasure
رِضْوَٰنَ
अल्लाह की रज़ा की
(of) Allah
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की रज़ा की
and Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) Possessor
ذُو
फ़ज़ल वाला है
(of) Bounty
فَضْلٍ
फ़ज़ल वाला है
great
عَظِيمٍ
बहुत बड़े
Fainqalaboo bini'matin mina Allahi wafadlin lam yamsashum sooon waittaba'oo ridwana Allahi waAllahu thoo fadlin 'atheemin (ʾĀl ʿImrān 3:174)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तो वे अल्लाह को ओर से प्राप्त होनेवाली नेमत और उदार कृपा के साथ लौटे। उन्हें कोई तकलीफ़ छू भी नहीं सकी और वे अल्लाह की इच्छा पर चले भी, और अल्लाह बड़ी ही उदार कृपावाला है
English Sahih:
So they returned with favor from Allah and bounty, no harm having touched them. And they pursued the pleasure of Allah, and Allah is the possessor of great bounty. ([3] Ali 'Imran : 174)