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اَلَّذِيْنَ قَالَ لَهُمُ النَّاسُ اِنَّ النَّاسَ قَدْ جَمَعُوْا لَكُمْ فَاخْشَوْهُمْ فَزَادَهُمْ اِيْمَانًاۖ وَّقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ وَنِعْمَ الْوَكِيْلُ   ( آل عمران: ١٧٣ )

Those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
said
قَالَ
कहा
to them
لَهُمُ
उन्हें
[the people]
ٱلنَّاسُ
लोगों ने
"Indeed
إِنَّ
बेशक
the people
ٱلنَّاسَ
लोग
(have) certainly
قَدْ
तहक़ीक़
gathered
جَمَعُوا۟
जमा हो गए हैं
against you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
so fear them"
فَٱخْشَوْهُمْ
पस डरो उनसे
But it increased them
فَزَادَهُمْ
पस उसने बढ़ा दिया उन्हें
(in the) faith
إِيمَٰنًا
ईमान में
and they said
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
"Sufficient for us
حَسْبُنَا
काफ़ी है हमें
(is) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
and (He is the) best
وَنِعْمَ
और कितना अच्छा है
[the] Disposer of affairs"
ٱلْوَكِيلُ
कारसाज़

Allatheena qala lahumu alnnasu inna alnnasa qad jama'oo lakum faikhshawhum fazadahum eemanan waqaloo hasbuna Allahu wani'ma alwakeelu (ʾĀl ʿImrān 3:173)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ये वही लोग है जिनसे लोगों ने कहा, 'तुम्हारे विरुद्ध लोग इकट्ठा हो गए है, अतः उनसे डरो।' तो इस चीज़ ने उनके ईमान को और बढ़ा दिया। और उन्होंने कहा, 'हमारे लिए तो बस अल्लाह काफ़ी है और वही सबसे अच्छा कार्य-साधक है।'

English Sahih:

Those to whom people [i.e., hypocrites] said, "Indeed, the people have gathered against you, so fear them." But it [merely] increased them in faith, and they said, "Sufficient for us is Allah, and [He is] the best Disposer of affairs." ([3] Ali 'Imran : 173)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

यह वह हैं कि जब उनसे लोगों ने आकर कहना शुरू किया कि (दुशमन) लोगों ने तुम्हारे (मुक़ाबले के) वास्ते (बड़ा लश्कर) जमा किया है पस उनसे डरते (तो बजाए ख़ौफ़ के) उनका ईमान और ज्यादा हो गया और कहने लगे (होगा भी) ख़ुदा हमारे वास्ते काफ़ी है