اَلَّذِيْنَ قَالُوْا لِاِخْوَانِهِمْ وَقَعَدُوْا لَوْ اَطَاعُوْنَا مَا قُتِلُوْا ۗ قُلْ فَادْرَءُوْا عَنْ اَنْفُسِكُمُ الْمَوْتَ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ( آل عمران: ١٦٨ )
Those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
said
قَالُوا۟
कहा
about their brothers
لِإِخْوَٰنِهِمْ
अपने भाईंयों को
while they sat
وَقَعَدُوا۟
और वो ख़ुद बैठ गए
"If
لَوْ
अगर
they (had) obeyed us
أَطَاعُونَا
वो इताअत करते हमारी
not
مَا
ना
they would have been killed"
قُتِلُوا۟ۗ
वो क़त्ल किए जाते
Say
قُلْ
कह दीजिए
"Then avert
فَٱدْرَءُوا۟
पस दूर करो
from
عَنْ
अपने नफ़्सों से
yourselves
أَنفُسِكُمُ
अपने नफ़्सों से
[the] death
ٱلْمَوْتَ
मौत को
if
إِن
अगर
you are
كُنتُمْ
हो तुम
truthful
صَٰدِقِينَ
सच्चे
Allatheena qaloo liikhwanihim waqa'adoo law ata'oona ma qutiloo qul faidraoo 'an anfusikumu almawta in kuntum sadiqeena (ʾĀl ʿImrān 3:168)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ये वही लोग है जो स्वयं तो बैठे रहे और अपने भाइयों के विषय में कहने लगे, 'यदि वे हमारी बात मान लेते तो मारे न जाते।' कह तो, 'अच्छा, यदि तुम सच्चे हो, तो अब तुम अपने ऊपर से मृत्यु को टाल देना।'
English Sahih:
Those who said about their brothers while sitting [at home], "If they had obeyed us, they would not have been killed." Say, "Then prevent death from yourselves, if you should be truthful." ([3] Ali 'Imran : 168)