لَقَدْ مَنَّ اللّٰهُ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ اِذْ بَعَثَ فِيْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْ اَنْفُسِهِمْ يَتْلُوْا عَلَيْهِمْ اٰيٰتِهٖ وَيُزَكِّيْهِمْ وَيُعَلِّمُهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَۚ وَاِنْ كَانُوْا مِنْ قَبْلُ لَفِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ( آل عمران: ١٦٤ )
Laqad manna Allahu 'ala almumineena ith ba'atha feehim rasoolan min anfusihim yatloo 'alayhim ayatihi wayuzakkeehim wayu'allimuhumu alkitaba waalhikmata wain kanoo min qablu lafee dalalin mubeenin (ʾĀl ʿImrān 3:164)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों पर बड़ा उपकार किया, जबकि स्वयं उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठाया जो उन्हें आयतें सुनाता है और उन्हें निखारता है, और उन्हें किताब और हिक़मत (तत्वदर्शिता) का शिक्षा देता है, अन्यथा इससे पहले वे लोग खुली गुमराही में पड़े हुए थे
English Sahih:
Certainly did Allah confer [great] favor upon the believers when He sent among them a Messenger from themselves, reciting to them His verses and purifying them and teaching them the Book [i.e., the Quran] and wisdom, although they had been before in manifest error. ([3] Ali 'Imran : 164)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ख़ुदा ने तो ईमानदारों पर बड़ा एहसान किया कि उनके वास्ते उन्हीं की क़ौम का एक रसूल भेजा जो उन्हें खुदा की आयतें पढ़ पढ़ के सुनाता है और उनकी तबीयत को पाकीज़ा करता है और उन्हें किताबे (ख़ुदा) और अक्ल की बातें सिखाता है अगरचे वह पहले खुली हुई गुमराही में पडे थे