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اَلَّذِيْنَ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَآ اِنَّنَآ اٰمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوْبَنَا وَقِنَا عَذَابَ النَّارِۚ  ( آل عمران: ١٦ )

Those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
say
يَقُولُونَ
कहते हैं
"Our Lord!
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
Indeed we
إِنَّنَآ
बेशक हम
(have) believed
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
so forgive
فَٱغْفِرْ
पस बख़्श दे
for us
لَنَا
पस बख़्श दे
our sins
ذُنُوبَنَا
हमारे गुनाहों को
and save us
وَقِنَا
और बचा हमें
(from) punishment
عَذَابَ
अज़ाब से
(of) the Fire"
ٱلنَّارِ
आग के

Allatheena yaqooloona rabbana innana amanna faighfir lana thunoobana waqina 'athaba alnnari (ʾĀl ʿImrān 3:16)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ये वे लोग है जो कहते है, 'हमारे रब हम ईमान लाए है। अतः हमारे गुनाहों को क्षमा कर दे और हमें आग (जहन्नम) की यातना से बचा ले।'

English Sahih:

Those who say, "Our Lord, indeed we have believed, so forgive us our sins and protect us from the punishment of the Fire," ([3] Ali 'Imran : 16)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

कि हमारे पालने वाले हम तो (बेताम्मुल) ईमान लाए हैं पस तू भी हमारे गुनाहों को बख्श दे और हमको दोज़ख़ के अज़ाब से बचा