يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَقَالُوْا لِاِخْوَانِهِمْ اِذَا ضَرَبُوْا فِى الْاَرْضِ اَوْ كَانُوْا غُزًّى لَّوْ كَانُوْا عِنْدَنَا مَا مَاتُوْا وَمَا قُتِلُوْاۚ لِيَجْعَلَ اللّٰهُ ذٰلِكَ حَسْرَةً فِيْ قُلُوْبِهِمْ ۗ وَاللّٰهُ يُحْيٖ وَيُمِيْتُ ۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ( آل عمران: ١٥٦ )
Ya ayyuha allatheena amanoo la takoonoo kaallatheena kafaroo waqaloo liikhwanihim itha daraboo fee alardi aw kanoo ghuzzan law kanoo 'indana ma matoo wama qutiloo liyaj'ala Allahu thalika hasratan fee quloobihim waAllahu yuhyee wayumeetu waAllahu bima ta'maloona baseerun (ʾĀl ʿImrān 3:156)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लानेवालो! उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने इनकार किया और अपने भाईयों के विषय में, जबकि वे सफ़र में गए हों या युद्ध में हो (और उनकी वहाँ मृत्यु हो जाए तो) कहते है, 'यदि वे हमारे पास होते तो न मरते और न क़त्ल होते।' (ऐसी बातें तो इसलिए होती है) ताकि अल्लाह उनको उनके दिलों में घर करनेवाला पछतावा और सन्ताप बना दे। अल्लाह ही जीवन प्रदान करने और मृत्यु देनेवाला है। और तुम जो कुछ भी कर रहे हो वह अल्लाह की स्पष्ट में है
English Sahih:
O you who have believed, do not be like those who disbelieved and said about their brothers when they traveled through the land or went out to fight, "If they had been with us, they would not have died or have been killed," so Allah makes that [misconception] a regret within their hearts. And it is Allah who gives life and causes death, and Allah is Seeing of what you do. ([3] Ali 'Imran : 156)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों उन लोगों के ऐसे न बनो जो काफ़िर हो गए भाई बन्द उनके परदेस में निकले हैं या जेहाद करने गए हैं (और वहॉ) मर (गए) तो उनके बारे में कहने लगे कि वह हमारे पास रहते तो न मरते ओर न मारे जाते (और ये इस वजह से कहते हैं) ताकि ख़ुदा (इस ख्याल को) उनके दिलों में (बाइसे) हसरत बना दे और (यूं तो) ख़ुदा ही जिलाता और मारता है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है